मेरी कुंवारी गर्लफ्रेंड सेक्स स्टोरी
Mary: रिया और आरव की पहली बार की सच्ची कहानी
लेखक: आरव शर्मा | 26-11-2025 | नई संस्करण
दोस्तों, नमस्ते!
मेरा नाम आरव है। मैं दिल्ली में रहता हूँ। अभी मैं 31 साल का हूँ। ये कहानी मेरी और मेरी पहली गर्लफ्रेंड रिया की है। वो मेरी जिंदगी की सबसे खूबसूरत याद है। ये पूरी तरह सच्ची घटना है, बिना किसी गाली या बनावटी बात के। अगर कहीं लिखने में गलती लगे तो माफ करना।
तब मैं 23 साल का था और दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक बड़े कॉलेज में बी.टेक कर रहा था। रिया मुझसे दो साल जूनियर थी, 21 साल की। उसका फिगर 34-28-36 था। लंबे काले बाल, गुलाबी होंठ, और जो आँखें… एक बार देखो तो बस देखते ही रह जाओ। हम एक ही डिपार्टमेंट लाइब्रेरी में मिले। पहले ग्रुप प्रोजेक्ट, फिर नोट्स शेयर करने के बहाने बातें बढ़ीं। वॉट्सऐप पर गुड मॉर्निंग-गुड नाइट होने लगे।
धीरे-धीरे पता चला कि हम दोनों एक-दूसरे को बहुत पसंद करने लगे हैं। एक शाम मैंने हिम्मत करके कहा, “रिया, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ।” उसने शर्मा कर सिर्फ “मुझे भी” कहा। बस, फिर क्या था—हम दोनों ऑफिशियली एक-दूसरे के हो गए।
कॉलेज कैंटीन, इंडिया गेट के लॉन, कभी-कभी देर रात तक पार्क में हाथ पकड़ कर घूमना—सब कुछ सपने जैसा था। एक दिन हम लोग कनॉट प्लेस के पास एक पार्क में बैठे थे। ठंडी हवा चल रही थी, हल्की-हल्की बारिश शुरू हो गई। हम एक बेंच के नीचे भीगते हुए एक-दूसरे के इतने करीब आ गए कि हमारी साँसें एक-दूसरे को छूने लगीं। मैंने उसे बाहों में खींच लिया। वो मेरे सीने से ऐसे चिपक गई जैसे सालों से यही पल का इंतज़ार कर रही हो। हम न जाने कितनी देर तक एक-दूसरे को कसके पकड़े रहे। जब होश आया तो चारों तरफ अँधेरा हो चुका था। मैंने उसे घर छोड़ा, लेकिन रात भर नींद नहीं आई।
अगले ही दिन उसका मैसेज आया, “आज मम्मी-पापा और भाई बाहर शादी में जा रहे हैं। मैं अकेली हूँ घर पर। डर लग रहा है।”
मैंने मज़ाक में लिखा, “तो मैं आ जाऊँ साथ देने?”
दो सेकंड में रिप्लाई आया, “हाँ प्लीज़ आ जाओ ना।”
मैंने बाइक उठाई और पहुँच गया उसके फ्लैट पर। दरवाज़ा खोलते ही उसने मुझे अंदर खींच लिया और गले लगा लिया। उसकी गर्म साँसें मेरी गर्दन पर लग रही थीं। मैंने भी उसे कमर से पकड़ कर इतना कस लिया कि हमारी धड़कनें एक हो गईं। हम दोनों को कुछ सूझ ही नहीं रहा था। तभी बाहर कहीं कुत्ते भोंके और हम हड़बड़ा कर अलग हुए। मैंने उसके माथे पर प्यार से किस किया। वो शरमा कर नीचे देखने लगी, लेकिन उसकी आँखों में कुछ और ही कहानी लिखी थी।
मैंने फिर उसे किस किया—माथा, आँखें, गाल, और फिर उसके नर्म गुलाबी होंठ। वो भी पूरी तरह मेरा साथ देने लगी। उसके होंठों का स्वाद आज भी याद है—मीठा, गर्म और थोड़ा काँपता हुआ। किस करते-करते हम उसके बेडरूम में पहुँच गए। मैंने उसे धीरे से बिस्तर पर लिटाया। वो मेरी बाहों में लिपटी हुई थी, जैसे छोड़ना ही नहीं चाहती हो।
मैंने उसकी कुर्ती ऊपर उठाई। उसने खुद हाथ उठा कर मदद की। फिर ब्रा। उसके गोल, मुलायम स्तन मेरे सामने थे। गुलाबी निप्पल एकदम कसे हुए। मैंने एक को मुँह में लिया तो वो सिहर कर “आह… आरव…” कहते हुए कमर ऊँची कर ली। मैं बारी-बारी दोनों स्तनों को चूमता, चूसता, हल्के से दाँतों से काटता रहा। वो मेरे बालों में उँगलियाँ फेर रही थी और मीठी-मीठी सिसकारियाँ ले रही थी।
उसका हाथ मेरी जीन्स पर आ गया। ज़िप खोली और मेरे लौड़े को बाहर निकाला। वो उसे प्यार से सहलाने लगी। मैंने अपनी शर्ट-जीन्स उतार दी, सिर्फ बॉक्सर रह गया। फिर मैं नीचे खिसका। उसकी नाभि पर जीभ फेरी तो वो पूरी तरह सिहर गई। मैंने उसकी लेगिंग का नाड़ा खोला और धीरे से नीचे सरका दिया। उसकी काली लेस की पैंटी पूरी तरह गीली थी। मैंने नाक उसकी चूत पर रगड़ी—उसकी गर्म, मीठी खुशबू ने मुझे पागल कर दिया।
उसने खुद अपनी पैंटी उतार दी और मेरी भी। अब हम दोनों पूरी तरह नंगे थे। वो मेरे लौड़े को हाथ में लेकर सहलाने लगी और फिर झुक कर उसे होंठों से छूने लगी। जब उसने सुपारा मुँह में लिया तो मैंने आँखें बंद कर लीं—उसकी गर्म, गीली जीभ का स्पर्श… स्वर्ग था। मैंने उसके बाल पकड़े और धीरे-धीरे मुँह चुदाई करने लगा। वो पूरी मेहनत से चूस रही थी, आँखें बंद करके।
फिर हम 69 में आ गए। मैं उसकी चूत चाटने लगा—उसका रस इतना मीठा था कि मैं रुक ही नहीं पा रहा था। वो भी मेरे लौड़े को गले तक ले रही थी। दस-पंद्रह मिनट बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए। उसने मेरा सारा रस निगल लिया, मैंने उसकी चूत को पूरी तरह चाट कर साफ कर दिया।
पाँच मिनट आराम के बाद फिर आग लग गई। मैंने उसे लिटाया और अपना लौड़ा उसकी चूत पर रगड़ने लगा। वो काँपते हुए बोली, “आरव… धीरे… मुझे बहुत डर लग रहा है… ये मेरा पहली बार है।”
मैंने उसकी आँखों में देखा और कहा, “ट्रस्ट मी, मैं बहुत प्यार से करूँगा।”
लौड़े का सुपारा अंदर करते ही वो चीख पड़ी। मैं रुक गया, उसे किस किया, स्तन चूसे। फिर धीरे-धीरे दबाव बढ़ाया। जब सील टूटी तो उसके आँसू निकल आए। मैं रुक गया, उसे प्यार से सहलाया, निप्पल चूसे, जब तक वो फिर से तैयार नहीं हुई। उसकी चूत ने खूब सारा रस छोड़ा और लौड़ा फिसलने लगा।
अब मैं धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा। पहले दर्द था, फिर धीरे-धीरे मज़ा आने लगा। वो खुद कमर उठा-उठा कर साथ देने लगी। “और अंदर… और तेज़…” उसकी आवाज़ में अब सिर्फ चाहत थी। मैंने स्पीड बढ़ाई। फिर उसे घोड़ी बनाया—उसकी गोरी गांड देख कर मैं और पागल हो गया। पीछे से पूरा लौड़ा अंदर-पूरा बाहर। वो तकिये में मुँह दबा कर चीख रही थी, “हाँ… ऐसे ही… चोदो मुझे…”
फिर वो मेरे ऊपर आई। अपने हाथों से लौड़ा पकड़ कर चूत में लिया और ऊपर-नीचे होने लगी। उसके स्तन उछल रहे थे, मैं उन्हें मसल रहा था। दस मिनट बाद वो फिर झड़ गई, पूरी तरह ढीली पड़ कर मेरे सीने पर गिर पड़ी।
मैंने उसे फिर नीचे लिया और मिशनरी में तेज़-तेज़ ठोकने लगा। अब मुझे भी आने वाला था। मैंने लौड़ा बाहर निकाला और उसकी छाती, पेट और स्तनों पर अपना गाढ़ा माल उड़ेल दिया। हम दोनों पसीने से तर, एक-दूसरे की बाहों में लिपट कर लेट गए। उस रात हमने तीन बार और किया—बाथरूम में शावर के नीचे, किचन काउंटर पर, सोफे पर—हर जगह।
उसके बाद जब भी मौका मिलता, हम प्यार की सारी हदें पार कर देते। उसकी चूत की गर्माहट और मेरे लौड़े का जोड़ बन गया था। आज भी जब वो पुरानी तस्वीरें देखता हूँ तो मन कर जाता है कि फिर से वही दिन लौट आएँ।
दोस्तों, कैसी लगी मेरी और रिया की पहली बार की कहानी? कमेंट करके ज़रूर बताना। आप सबको ढेर सारा प्यार।
~ आरव