दूर की रिश्तेदार लड़की से फेसबुक दोस्ती और पहला सेक्स

दूर की रिश्तेदार लड़की से फेसबुक दोस्ती और पहला सेक्स लेखक: अंशुल मेहरा | 12-11-2025 | नई सच्ची कहानी

हाय दोस्तों, मेरा नाम अंशुल है। मैं एकदम नॉर्मल सा लड़का हूँ, बहुत शर्मीला, हाइट 5 फुट 10 इंच। ये कहानी मेरी और मेरी गर्लफ्रेंड सृष्टि (नाम बदला है) की है। ये 2019 की बात है और बिल्कुल सच्ची है।

एक दिन फेसबुक पर स्क्रॉल कर रहा था तो एक लड़की का सजेशन आया। कुछ कॉमन फ्रेंड्स थे, प्रोफाइल पिक देखते ही दिल धक् से हो गया। बहुत खूबसूरत थी। मैंने बिना सोचे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज दी। अगले दिन देखा तो उसने एक्सेप्ट कर लिया। मैंने हाय-हैलो किया, पहले तो इग्नोर किया, फिर मैंने लिखा – “कहीं देखा-सा लग रहा है, याद नहीं आ रहा।” तभी उसका रिप्लाई आया। बातें शुरू हुईं और पता चला कि वो मेरी बहुत दूर की रिश्तेदार है।

धीरे-धीरे रोज़ चैट होने लगी। फिर नंबर एक्सचेंज हुए, देर रात तक फोन पर बातें। अचानक एक दिन उसने मुझे ब्लॉक कर दिया। जब पूछा तो बोली – “तुम टाइम पर रिप्लाई नहीं करते, बहुत घमंड है।” मैंने सॉरी बोला और सच में उस पर ध्यान देना शुरू किया। फिर से बातें शुरू हो गईं।

लगभग एक महीना हो चुका था। एक शाम मैंने हिम्मत जुटा कर कहा – “सृष्टि, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो… क्या मैं तुमसे आई लव यू कह सकता हूँ?” वो हँसते हुए बोली – “आई लव यू टू, पागल।” बस, फिर तो रोज़ आई लव यू, मिस यू, गुड नाइट किस वाली बातें।

एक रात उसका कॉल आया। वो सेक्स चैट करने लगी। मैं शर्मा रहा था, क्योंकि मैंने कभी किसी से ऐसे बात नहीं की थी। वो मेडिकल स्टूडेंट थी, उसे सब नॉर्मल लगता था। उसने मेरी नूड पिक माँगी। मैंने बहाना बनाया – “दोस्त पास बैठा है।” अगले दिन फिर वही बात। इस बार उसने पहले खुद अपनी नंगी फोटो भेज दी। फिर मैंने भी भेजी। अब रोज़ वो मुझे अपनी नंगी फोटोज़ भेजती और हम फोन सेक्स करने लगे। आग दोनों तरफ़ लग चुकी थी, बस मिलने का मौका चाहिए था।

वो दूसरे शहर में जॉब करती थी, मेरे शहर से सिर्फ़ दो घंटे दूर। पीजी में रहती थी, मिलना मुश्किल था। फिर एक रविवार सुबह उसका कॉल आया – “आज मेरी छुट्टी है, मैं आ रही हूँ। मिलना है।” मेरे तो लड्डू फूटने लगे। मैं तैयार होकर स्टेशन पहुँचा।

पहली बार उसे सामने देखा। लाइट यलो कुर्ती, व्हाइट लैगिंग्स, दुपट्टा लहरा रहा था। लाल लिपस्टिक, छोटी बालियाँ – एकदम कातिल लग रही थी। गोरा रंग, भरा हुआ बदन। मैं तो बस देखता रह गया। उसे बाइक पर बिठाया और घूमने निकल गए। लंच किया, पार्क में हाथ पकड़ कर बैठे, फिर थक गए तो मैंने होटल में रूम ले लिया।

रूम में पहुँचे तो शाम हो चुकी थी। दोनों लेट कर सो गए। दो घंटे बाद मेरी नींद खुली। वो सो रही थी। मैंने उसके गाल पर हल्का सा किस किया और वॉशरूम चला गया। जब वापस आया तो वो जाग चुकी थी। मैंने चाय ऑर्डर की। चाय पीते हुए उसने पूछा – “सोते हुए गाल पर किस क्यों की?” मैं कुछ बोल नहीं पाया। वो मुस्कुराई और बोली – “गाल पर कौन किस करता है पागल, अपनी गर्लफ्रेंड को होंठों पर करो।” फिर खुद आगे बढ़ी और हमारा पहला लिप-किस हुआ। दस मिनट तक हम बस एक-दूसरे के होंठ चूसते रहे।

तभी मेरे फ्लैटमेट का कॉल आ गया – “कब आ रहा है?” मैंने कहा – “आ रहा हूँ।” सृष्टि ने बात सुन ली और चुपचाप वॉशरूम चली गई। बाहर आकर बोली – “मुझे भूख लगी है।” मैंने खाना मंगाया। खाना खाने के बाद फिर किस शुरू। मेरे हाथ उसकी टी-शर्ट के अंदर चले गए। उसके मुलायम स्तन दबाते ही मैं पैंट में ही झड़ गया।

देर हो चुकी थी। मैंने कहा – “मुझे जाना पड़ेगा।” वो बोली – “मैं अकेली कैसे रहूँगी? मुझे शहर घूमना है। तुम रुक जाओ।” मैंने फ्लैटमेट को बोल दिया कि आज नहीं आऊँगा। फिर बाहर जाकर मेडिकल स्टोर से कंडोम लिया और वापस आ गया।

वो टीवी देख रही थी। मैं उसके पास बैठा। उसने अपना सिर मेरी गोद में रख दिया। उसकी टी-शर्ट से उसके बूब्स का शेप साफ दिख रहा था। मैंने पूछा – “साइज़ क्या है?” वो शरमाते हुए बोली – “खुद चेक कर लो।” बस, ये हरी झंडी थी।

मैंने उसका टॉप ऊपर किया। क्रीम कलर की फ्लोरल ब्रा, 32B साइज़। मैं ब्रा का हुक नहीं खोल पाया तो उसने खुद खोल दिया। उसके गोरे-गोरे मम्मे सामने थे। मैं पागल सा उनको दबाने-चूसने लगा। कभी हल्के से काटता तो वो “आह… अंशुल…” कहती। वो भी मेरे लंड से खेल रही थी। मैंने कंडोम चढ़ाया और उसकी पैंटी उतारी। उसकी चूत एकदम गुलाबी और टाइट थी।

लंड चूत पर रखा और एक जोर का धक्का मारा। बहुत मुश्किल से अंदर गया। दोनों को दर्द हो रहा था – हमारा पहला टाइम जो था। धीरे-धीरे ठोकने लगा। दर्द कम हुआ तो वो भी मजे लेने लगी – “आह… हाँ… ऐसे ही…” पाँच मिनट बाद मैं झड़ गया। बेडशीट पर हल्का सा खून था। हम दोनों वॉशरूम गए, साफ हुए, बॉडी लोशन लगाया और लेट गए।

सुबह 6 बजे नींद खुली। वो नंगी सो रही थी। मेरा लंड फिर खड़ा हो गया। मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से लंड रगड़ा और उसके बूब्स दबाने लगा। वो जागी और मुझे किस करने लगी। इस बार बिना देर किए लंड अंदर पेल दिया। अब कम दर्द था। वो भी पूरा साथ दे रही थी – “आह… तेज़… और तेज़…” कमरे में फच-फच की आवाज़ें गूँज रही थीं। पहले वो झड़ी, फिर मैं।

दो घंटे तक हम एक-दूसरे से लिपटे रहे। मेरा लंड सूज गया था, चलने में तकलीफ़ हो रही थी। उसका भी वही हाल। आखिर में लंबा सा किस किया और होटल से चेक-आउट कर लिया। उसे स्टेशन छोड़ा और वापस आ गया।

उसके बाद हमने उसके घर में, मेरे फ्लैट पर, कहीं भी मौका मिला वहाँ सेक्स किया। वो दिन आज भी याद आते हैं तो तन जाता हूँ।

दोस्तों, कैसी लगी मेरी और सृष्टि की पहली मुलाकात और पहली चुदाई की कहानी? कमेंट करके ज़रूर बताना। ~ अंशुल

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