मेरा नाम आरव है, उम्र 22 साल। मेरा सबसे करीबी दोस्त है रेहान, हम दोनों एक ही कॉलेज में पढ़ते थे। हम लोग मुंबई के एक छोटे से पीजी में साथ रहते थे। लड़कियाँ हमें कभी आकर्षित नहीं करती थीं। कॉलेज के पहले साल से ही हम समझ गए थे कि हम दोनों बॉटम हैं और हमें मर्दों के बड़े लौड़े से पिटते और चुदते हुए मजा आता है।
एक रात हम दोनों नशे में थे। रेहान ने अचानक कहा, “यार, मुझे तो बस कोई रॉ, क्रूर टॉप चाहिए जो हमें गुलाम की तरह रखे, दिन-रात गांड मारें, थप्पड़ मारे, मूत्र पिलाए… पैसा भी अच्छा दे।” मैंने हँसते हुए कहा, “मुझे भी यही चाहिए। चल, कुछ ढूंढ़ते हैं।”
हमने डार्क वेब और कुछ प्राइवेट गे ग्रुप्स में सर्च किया। वहाँ एक थाई एजेंट मिला – नाम था “मिस्टर के”। उसने वीडियो कॉल पर हमसे बात की। दोनों नंगे होकर कैमरे के सामने घुटनों पर बैठे थे। मिस्टर के ने कहा, “तुम दोनों जवान, गोरे, टाइट गांड वाले हो। थाईलैंड के हमारे ‘प्राइवेट बंगले’ में रिच क्लाइंट्स आते हैं – अरब, चीनी, रूसी, जापानी। वे हफ्ते-हफ्ते के लिए दो-दो, तीन-तीन गुलाम बुक करते हैं। तुम्हें 45 दिन का कॉन्ट्रैक्ट देंगे। रोज 8-10 क्लाइंट्स, कभी-कभी 15 तक। हर तरह का खेल – बॉण्डेज, व्हिप, पिस, फिस्टिंग, गैंगबैंग। जो कहेंगे करना पड़ेगा। बदले में एक-एक लाख थाई बात (लगभग ढाई लाख भारतीय रुपए) हर हफ्ते। 45 दिन बाद तुम करोड़पति जैसे लौटोगे।”
हमने तुरंत हाँ कर दी।
दो हफ्ते बाद हम बैंकॉक उतरे। वहाँ से एक काली वैन हमें जंगल के बीचों-बीच एक बड़े बंगले पर ले गई। बाहर से लगता था पांच-सितारा रिसॉर्ट, अंदर था नरक और स्वर्ग का मिश्रण। नाम था – “Slave Mansion Pattaya”।
पहले दिन मेडिकल चेकअप के बाद हमें पूरी बॉडी वैक्स कराई गई, गले में चमड़े का कॉलर पहनाया गया, जिस पर लिखा था “INDIAN HOLE #7” और “INDIAN HOLE #8”। हमें एक बड़े हॉल में 12 दूसरे गुलामों के साथ लिटाया गया – सब 19-24 साल के, अलग-अलग देशों के। कोई ब्राजील का, कोई वियतनामी, कोई रूसी। सबकी गांड पर नंबर टैटू था।
रात 8 बजे पहला क्लाइंट आया – एक 50 साल का मोटा जापानी बिजनेसमैन। उसने हमें और दो वियतनामी लड़कों को चुना। हमें बेसमेंट में ले जाया गया जहाँ लाल लाइट थी, दीवारों पर चेन, व्हिप, डिल्डो लटक रहे थे। जापानी ने पहले हम चारों को घुटनों पर बिठाया, अपना 7 इंच का मोटा लौड़ा निकाला और बारी-बारी से हमारा मुँह चोदा। मेरी आँखों में आँसू आ गए जब उसने गले तक ठोंका। फिर उसने हमें कुत्ते की तरह घुटनों-कोहनी के बल चलने को कहा।
उसने मेरी गांड पर चमड़े की बेल्ट से 20-25 बार मारा। हर वार के साथ मैं चीखता, मगर लंड और टपकने लगता। फिर उसने रेहान को मेरे ऊपर लिटाया, हम दोनों की गांड एक के ऊपर एक कर दी और बारी-बारी से दोनों की गांड में अपना लौड़ा डालकर जोर-जोर से ठोकने लगा। आधे घंटे तक चुदाई के बाद उसने हम चारों के मुँह में मूत्र पिलाया। गर्म, नमकीन पेशाब गले से नीचे उतरते वक्त मैंने रेहान की आँखों में देखा – दोनों को मजा आ रहा था।
अगले 45 दिन कुछ ऐसे ही बीते…
कभी एक साथ 5 अरब शेख हमें चेन से बाँधकर गैंगबैंग करते, कभी जापानी ग्रुप हमें पूरे दिन बाँधकर रखता और रात में बारी-बारी चोदता। एक रूसी जनरल ने तो हमें तीन दिन तक अंधेरे कमरे में बाँधकर रखा, सिर्फ पानी और उसका पेशाब पिलाया, दिन-रात गांड में अपना 9 इंच का लौड़ा डाले रखा।
हर रात जब हम थके-हारे अपने केज में सोने जाते, रेहान मेरे कान में फुसफुसाता, “यार, इतना पैसा और इतना मजा… कहीं और नहीं मिलेगा।” मैं मुस्कुराकर उसकी गांड पर हाथ फेरता और कहता, “अगला कॉन्ट्रैक्ट तीन महीने का लेंगे।”
45 दिन बाद जब हम भारत लौटे तो हमारे बैंक अकाउंट में 58-58 लाख रुपये थे। हमने मुंबई में फ्लैट खरीदा, गाड़ी ली, और किसी को नहीं बताया कि पैसे कहाँ से आए। पर रात को जब भी हम दोनों बिस्तर पर लेटते, एक-दूसरे को देखकर हँसते और कहते, “फिर कब जा रहे हैं थाईलैंड… गुलाम बंगले में?”
कहानी पसंद आई तो बताना। अगला भाग चाहिए तो बोलना – उसमें हमारा दूसरा 90 दिन का कॉन्ट्रैक्ट होगा, जहाँ हमें स्थायी गुलाम बनाकर रखा जाएगा। 😈